1) कुछ ख्वाहिशें इस नादान दिल की
ऐसी हो जाती है
साँसे थम जाती है और बस धड़कने रह जाती है.
2) इधर कश्तीयाँ काग़ज़ की बारिश क पानी में उतार क खुश हो रहे थे वो,
उधर अपने ही माझी ने कर दिया था दर किनार उन्हे.
3) चाँदनी भी चाँद से डरने लगे,
अश्क भी चिल्लाने लगे जिन सन्नाटो में
उस गम की रात से ज़्यादा स्याह क्या होगी,
जब पत्थर दिल भी पिघलने लगे सिरहानो में.
4) एक दिल है, टूटा सा पर फिर भी चलता है.
एक शोला है बुझा सा फिर भी जलता है
5) कभी घर का आँगन ही अपना जहाँ होता था,
अब तो आसमान भी कम पड़ता है उड़ानो के लिए
6) धड़कनो का जब वजूद ही ना रहा,
अब मौत ही अहम लगती है.
इस तरह मेरी परछाई ने साथ छोड़ा,
के अब ज़िंदगी भी वेहम लगती है.
7) तन्हा सफ़र कर रहे थे,
हमसफ़र मिल गया था.
आगे बढ़े साथ तो लगा,
रास्ता हमारा जुड़ गया था.
दो राह जो आई,
साथ निभा ना पाए,
जुदा हुए कुछ यूँ,
जैसे वो अजनबी पराया था.
8) एक रंग है तेरा, एक रंग है मेरा,
तुझे तेरा रंग सुहाता,
मैं अपने रंग में रमी,
ना रंग तू मुझे अपना रंग,
ना मैं तुझे रंगू.
बस अपने ही रंगो में
दोनो मिल के रह जायें.
9) आज फिर तेरी याद आई,
नींद भारी आँखें जाग गई,
सीने में जो दर्द रहा
उसके होने का एहसास हुआ
कुछ बातें,
कुछ मुलाक़ाते,
और वो सारी अनगिनत यादें
दिल में संजोए
जी रहे है हम,
हर साँस में
दर्द का घूँट
पी रहे है हम.
किया हमने ही तुझे रुसवा,
खुद को भी रुसवा कर दिया
मोहब्बत की जो कस्में थी,
ज़ार ज़ार कर तोड़ दिया.
आज अश्क सूखे से हैं,
आँखों में नींद नही,
मेरा दिल तो तेरे पास था
मेरे पास अब कुछ भी नही.
10) खुदा माना उससे,
उसके दर पर हर रोज़ सजदे किए,
कुछ यूँ मूह फेरा उसने मुझसे
की सारी खुदाई खिलाफ मेरे हो चली…
11) तन्हाई सौगात सी लगती है,
रुसवाई आबाद सी लगती है..
उसकी जफ़ा का वो था अंदाज़..
की अपनी वफ़ा बर्बाद सी लगती है
12) हमारे इश्क़ का कुछ यूँ था सिलसिला,
के ज़माना सब कुछ जान गया,
बस उन्हे ही ना पता चला.
13) उनके इश्क में पाए हर ग़म को शिद्दत से निभाएँगे
उनकी अदायों पे सजदा अपनी साँसों को कर जाएँगे.
14) इश्क़ को लोग अक्सर जुनून का नाम दे देते है…
भूल जाते हैं की ये जुनून नही एक शिद्दत भारी इबादत है…
15) तुम्हे याद करें भी तो किस घड़ी करें…
याद करने के लए तुम्हे भूलना ज़रूरी है…
16) दुआ में रखेंगे अब तुम्हे हम…
ख्वाबों क परिंदों को अब एक नये आकाश की तलाश है…
17) जो अल्फ़ाज़ अनकहे हैं…
उन्हे अधूरे ही रहने दो…
अब वक्त हो चला है…
एक नयी नज़्म लिखी जाए…
18) वो होंगे चंद अल्फ़ाज़, बेशक आपके लए…
हमने तो एक उम्र बसर कर दी उनके सहारे..